Thursday, June 6, 2013

मैथिली कविता

बहन्ना ओकर कत्तेक सुनिएै बड निष्ठुर मन मीत हमर अछि
बदलैत मौसम डर लगैया बड ब्याकुल सन प्रीत हमर अछि

सीत'क बुन सन सिनेह ओकर साओन'क मेघ बनी वरसलै नै
बाट तकैत आँखि पथरायल बड उदास सन सीथ हमर अछि

कहब सुनब कीछ ने बाँकी राखब हृदय के भितर आब त हम
जीबन पथ पर साथ चलब हम ओकरे संग हित हमर अछि

बितल मास बसन्ती राग बसन्ती पतंग बनी उडि पहुँचितौं हम
लोक लाज सॉ पाएर उठल नै केहन समाज'क रीत हमर अछि

बरख बितेलकै सुधि जे बिसरलै आब त नै मानबै कहूना हम
बिन ओकरे नै खेललौं फगुआ लगयलौं नै रंग जिद हमर अछि

पूर्ण चन्द्र छै मुदा लगैत अमाबस अन्हार बड राति बितत कोना
प्रकाशपुँज बनी आयल जौं बुझब तखन हम जीत हमर अछि

चान'क इजोरिया सॉ मन'क अन्हरिया दुर कोना क भगबिएै हम
फेर उठल दरद मन मे बिरह भरल बस गीत हमर अछि~~~♥♥♥

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