गजल
नहि नयन कटारसँ वार करू
जुनि कामिनी एहन श्रृङ्गार करू
लिअ हारि जाई छी हम खुशी खुशी
जीवनक पथ पर तैआर रहू
धेआन हमर छै भटकि रहल
अहाँ हाल ने हमर बेहाल करु
जिनगीक रस्तामेँ जे छै धूप छाँह
काटि लेबै खुशीसँ बस हाथ धरु
अहाँ पिरीति केलौँ स्विकार हमर
जिनगी अहाँ लिअ उपहार धरु
सुख दुख जिनगी भरि चलिते छै
अहाँ साँस बनि हमर साथ रहू
सम्हारु घर आँगन तुलसी चौरा
जीवन बैतरणी सँगे पार करु…! ….अनिल मल्लिक
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