Thursday, June 6, 2013

मैथिली कविता

मिथिला राज के माँग जे उठलै नकाब ओकरा उतारैत देखलौ
कहै छलै हमर धर्म छै मिथिला नया धर्म अपनाबैत देखलौ

समाज केना सहि रहल छै तालिबानी पाएर पसारैत देखलौं
निर्दोष सब के खून स ओकरा अपन पियास बुझाबैत देखलौं

तरह तरह के मदारी सब के डम डम डमरु बजाबैत देखलौं
ककरो अखण्ड ककरो खण्ड खण्ड स्वतँत्र टुकडा माँगैत देखलौं

अपन स्वार्थ के खातीर किछु के नीत नव सपना बाँटैत देखलौं
हमरो चाही हमरो चाही किछु के सपना माँगैत देखलौं

“रा-वन” सब के फेसबुक पर राम कथा हम बाचैत देखलौं
राजनिती के केसिनो मे मानवता के हारैत देखलौं

आन'क घर के "भगत" शहीद होय देश राग हम गाबैत देखलौं
शहीद सब के लास पर चढि क’ ओकरा कुर्सी पाबैत देखलौं

फुटलै चुडी माँग उजडलै करेज हम हूनकर फाटैत देखलौं
राम ने औता घुरि क’ तैयो आस मे सीया के काँनैत देखलौं

एक तरफ फेरो भीड छै लागल ओहने मँच सजाबैत देखलौं
कहिं कोनो बच्चा ने होइ फेरो टुग्गर मने मन डराइत रहलौं ll

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