जिनगी भरि'क साथ बीचेमे किए छोड़ि देलियै
हमर ओ सपना सतरँगी किए तोड़ि देलियै
कहियै केकरासँ सुनतै के सिकाइतो हमर
दोख कहाँ कहलौं नया रस्ता किए खोजि लेलियै
रहि रहि आब भीजैत रहै छै जे आँखि हमर
ई सागर छै नोरक अहिमे किए बोरि देलियै
पहिल भेंटक फूल सुखि गेल तैयो रखने छी
मोनक फूलबारी कहू अहाँ किए नोंचि लेलियै
सहलो ने जाइया केहन जरै छै मोन हमर
बिरहक आगि मे जे हमरा किए झोंकि देलियै….! अनिल मल्लिक !!!
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