चैइताबर
एही ठाम मोतीया हेरायल हो राम, काहाँ हम ढुढुँ
कोठामे ढुढलौँ कोठलीयामे ढुढलौँ, ढुढली पियाके पंलगीया हो राम, काँहा हम ढुढुँ
सासु सँ पुछलौँ ननदीया सँ पुछलौँ, पियाके पुछैत सरमैलौ हो राम, काँहा हम ढुढुँ
ढुढीते ढुढीते मे बितल सारी रतीयाँ बीतीगेल दीन दुपहरीया हो राम, काँहा हम ढुढुँ । ।
(२)
राधा तेजल प्रणमा हो राम, आहाँके करणमा
जबसे कृष्णा गेल मथुरा नगरीया, बसीगेल कुबजी सौतीनीया हो राम, कन्हाँ के करणमा
सोलहो श्रृँगार बतीसो अभिरनमा नागीन साजल गहनमा हो राम
कथीला लोठब बेली चमेली कथीला गुथब फुल हार हो राम, कन्हाँ के करणमा
नीस दीन सोचथी मातु सुनैना रानी बितीगेल चैत महिना हो राम, कन्हाँ के करणमा । ।
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