जेबनार
राम लखन सन सुन्दर बरके जनी कोई पढीयौन गाइर हे
केबल हासँ बिनोघक पुछीयौन उचीत कथा दुई चारी हे
प्रथम कथा पुछीयौन सजनी से कहता कनेक बिचारी हे
गोर दशरथ गोर कौशिल्या भरथ राम किया कारी हे
सुनु सखी एक अनुपम घटना अचरज लागत भारी हे
खीर खाय बालक जनयौ लैनी अबधक नारी छीनारी हे
अकथ कथा की बाजु सजनी रघु कुल के गती न्यारी हे
साठी हजार प त्र जमौलन सगरक नारी छीनारी हे
स्नेहलता कीछु आब नै कहियौन एतबे करथी करारी हे
हँसी खुशी मिथिलासे जयता भाबी देती अपन मतारी हे । ।
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