परीछन
कवने नगरीया से आयल बरीयतिया हे रस प्रीती माती
कवने नगरीया भेल शोर हे रस प्रीती माती ।।
श्री अबध नगरीया से आयल बरीयतीया हे रस प्रीती माती
श्री मिथिला नगरीया भेल शोर हे रस प्रीती माती ।।
एहन बरीयतीया हम कबहु न देखली हे रस प्रीती माती
देखीते लोभाएल जियरा मोर हे रस प्रीती माती ।।
चलु चलु सब देखी आउँ बरीयतीया हे रस प्रीती माती
पहिर लिअ लहँगा पटोर हे रस प्रीती माती ।।
२
देखु देखु देखु बहिना सजनी हमार हे
घोडबा चढल अबथीन दुल्हा सरकार हे
बजबा अनेक रङ्ग कइक हजार हे
बहुत बरियतीया सँग पावैन पार हे
चलु सभ बिदेह दुअरीया सुनु एक बिचार हे
दुल्हा के रुप देखब मौरीक लहरदार हे
कहथीन कनकलता देखु हिये बीचार हे
चारो दुल्हीन जोग चारो कुमार हे ।।
0 comments:
Post a Comment