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Sunday, September 29, 2013

मैथिली - सामाके गीत

कौने बागँ रोपल चम्पा चमेली हे सोहागिन सामाकिनका कोखी जन्मल जेठ भाँय हे सोहागिन सामाअपन बाबा रोपल चम्पा चमेली हे सोहागिन सामाअम्मा कोखी जन्मल जेठ भाँय हे सोहागिन सामाकोन भैया हित बसु कोने भैया प्रेमी हे सोहागिन सामाकोने भैया डोलिया लागल जाय हे सोहागिन सामा । ।                                                                ( २ )बहुत जतन...

Thursday, September 26, 2013

मैथिली गीत - बटगवनी

 दधि मागे जशोधा के लाल, कि गोकुल हम ना जइबेपनिया भरन गेली, ओही जमुनमा, ओही कन्हैया ठार, गोकुल हम ना जइबेदधिया बेचन गेली ओही बृन्दावन, ओही कन्हैया ठार, गोकुल हम ना जइबेमारे बसुलीया फोरे गँगरीया यहि मोहन के चाल, गोकुल हम ना जइबेकौडी खेलन गेली यही बृन्दावन, ओही कन्हैया ठार, गोकुल हम ना जइबेमारे बसुलीया उरे कनककीया एही कान्हाके चाल, गोकुल हम ना ज...

Sunday, September 15, 2013

मैथिली गीत ( तर्ज चलुए सुपारी )

  भैया भौजी संगमे एकटा कार ऐलैय,भौजी के देखैला गामक लोग ऐलैय भैया लक लक भौजि छथीन मोटलगै छथीन भौजी बाछी सौं छोटबुझाइय जेना आँगनमे छोट मोट हाती चलैयभौजी के देखैला ....................देखैला सब लोग गप करैयभौजी घरमे मेकअप करैयदेखमें हमरा कोयल स कनिक गोर लगैयभौजी के देखैला गामक लोग ऐलैय ।। मम्मी पापा घरमे झकैँयबहीनो बाहर खुब कनैयकेहन भौजी लेलौँ भैया डर लगैय ।।भौजी के देखैला गामक लोग ऐलैय ।।                   शैलेन्द्र म...

Sunday, September 8, 2013

मैथिली गजल

हे राम पुछैत छी अहाँ सँ कहू किए दोष हमरा पर लादल गेलजमीन मे समयलौं हम, अपने की जीवीतेमे हमरा गाडल गेलअहील्या सुखी छलौं पाथर बनी क' ने बेदना ने कोनो संबेदना छलउद्धार केलौं किए? की अपमान सही कहाँ ओहि दुष्ट के मारल भेलहे श्याम सुन्दर हे मुरलीधर कहू प्रीत मे हमर कोन खोट छलैबिरह अग्नी मे जरैत रहलौं हमरा किए प्रीत चिता मे जारल गेलहे कृष्ण कहैत छलौं सखी हमरा बहीनक हमरा सम्मान भेटलनोर बनी बहल दर्द हमर जखन पाँच पती सँ बिआहल गेलहे बालकृष्ण अहि यशोदा के मातृत्वक बदला अहाँ किए अश्रु देलौंगोकुल छोडि मथुरा...

मैथिली गजल

अहि कवितामें “खास कय” कर्ण कायस़्थ समाजमें (आन समाजक बारे ओतेक नहि बुझल अछि) कन्या परिक्षण कएलाक बादो जे छँटबाक प्रवृति छैक आ अहिसँ कन्याँक उपर केहन मानसिक दवाव, असर पड़ैत छैक आ तखन दू तरहक सोच मोनमें अबैत हेतैक सकारात्मक आ नकारात्मक, अहि कवितामें एकटा कन्याक मोनक भाव कहबाक प्रयाश कयने छी....हम कहि दैत छी”आईयो सजल छी पुतरी जेहन हम, ल'क' जेबनि हम फेरो चायलाख मना केलहुँ हम फेरो, चलल हमर नै कोनो उपायफेर अओलैथ देखवा लेल हमरा, पुत्र,पिता औ संगे मायबजता, भुकता, देखता, सुनता फेर निकलता कहिते 'बाय'फेर असमंजस...

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