नचारीे
शंकर दु शंकर गाबैत चलु जटा सँ गँगा बहाबैत चलु
कैलाश मे आयल जे दीन दुःखीया सबके गला लगाबैत चलु
जटा सँ गँगा बहाबैत चलु, हाथमे डमरु बजाबैत चलु
मस्तक पर चँन्दन लगाबैत चलु, हाथमे त्रिशुल रखैत चलु
गलामे सर्प लगाबैत चलु, अँगोमे विभुत रमाबैत चलु, जटा सँ गँगा बहाबैत चलु ।।
(२)
अरजी अरजी भोला ककरा कँ दै छि, घरमे किछ नै देखैछि
बारी बारीसँ भाँग चुनैछी आँचर पर सुखै छी, अरजी ..... २
कार्तीके गणपती झगडा कैलनी तिनका नै देखैछी
बान्हल बसँहा घाँसो नै खाई छै, डोरा किया नम्हर छै, अरजी ...... २
जहिया सँ भोला सँ घर अयलहु दुःख छोरी सुख नै देखैछी
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