वितल श्रावनके पुरे महिना कि घर नाही आयल सजनमा ना बादल गरजे बिजुली चमके – २रही रहिके दिल मोरा धरकेधर धर काँपे बदनमा ना – २सखिहे थर थर काँपे बदनमा ना । । वितल …………. श्रावन मास पिया नही आयल, सखी सब मिली कै मुह बिजकैलकमोरा सुनी सेजरिया सखी हे, मोरा सुनी सेजरिया ना । । वितल …………. सबके पिया परदेश सौँ आयल, मोरा पिया परदेश घेरायलझर झर गिरे नयनमा सखी हे, झर झर गिरे नयनमा ना । ।वितल श्रावनके पुरे महिना कि घर नाही आयल सजनमा ना । । शैलेन्द्र मल...