Saturday, November 29, 2014

Maithili Parichhan Geet-Ab Sita Rahali Kumari ho Rama

 अब सीता रहली कुमारी हो रामा धनुषा नहि टुटे,
कठिन र्पन जनक जी ने ठानल लोहे के धनुषा बनाई हो रामा धनुषा नहि टुटे
देशही देश, जनक जी नेयोत पठाओल, अयोध्या मे परल हकार हो रामा धनुषा नहि टुटे
देशही देशके भुप सब आयल धनुषा छुवी छुवी जाय हो रामा धनुषा नहि टुटे
मुनीजीके सँग दुई बालक आयल एक ही श्यामल एक गोर हो रामा
बामे कन्धा रामा धनुषा उठाओल दाहीन कयल तीन खण्ड हो रामा
एक ही खण्ड आकाश हो लागल, एक खण्ड लागल पताल हो रामा
एक ही खण्ड जनकपुर खसल धनुषा कयल चुरम चुर हो रामा
भेल विवाह परल सिर सिन्दुर सीता लिय अगुँली लगाई हो रामा
धनुषा अब टुटल, अब सीता नहि रहली कुमारी हो रामा ।।
(२)
आठमे वर्षक सीता आनी न जानी हे कुमारी सीता
नवोमे उठे उद फान हे कुमारी सीता
दशमे वरखक सीता मरबा चढी बैसल हे कुमारी सीता
बाबा करथीन कन्याँ दान हे कुमारी सीता
मोती जाका झहरनी लोर हे कुमारी सीता
भेटल तपसी भिखार हे कुमारी सीता
हमरो करम बाबा लिखल वर तपसी हे कुमारी सीता
लिखल मेटल नहि जायत हे कुमारी सीता ।।






किछ परिछनक भिडियो गीत


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